3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में नामित करने का मुख्य उद्देश्य अधिनियम का वन्यजीव का वनस्पतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है ,
विश्व वन्यजीव दिवस हर साल 3 मार्च को मनाया जाता है इसकी शुरुआत साल 2013 में हुई थी संयुक्त राष्ट्र महासभा के 20 दिसंबर 2013 को अपने 68 वे अधिवेशन में वन्यजीवों की सुरक्षा और वनस्पतियों के लुप्त प्रजाति के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाने का घोषणा की थी
इस दिन का उद्देश्य दुनिया के जंगली जीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरूकता पैदा करना और उद्देश्य जागृत करना है साल 2020 का विश्व पृथ्वी पर सभी बीजेपी को बनाए रखना था भारत में वन्य जीव सप्ताह हर साल 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक मनाया जाता है इसका उद्देश्य वन्य जीवों की सुरक्षा और सुरक्षा के साथ-साथ वनस्पतियों की भी सुरक्षा और संरक्षण करना है 1957 में पहला वन्य जीव सप्ताह मनाया गया था
3 मार्च के रूप में नामित करना ताकि दुनिया के वन्य जीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके और यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी की जिससे वह यह सुरक्षित सुनिश्चित कर सके कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा नहीं है हिंदू पंचांग के अनुसार 3 मार्च को ही उदया तिथि के अनुसार भानु सप्तमी और शबरी जयंती भी मनाई जाएगी कालाष्टमी के दिन तांत्रिक अघोरी गुप्त रूप के काल भैरव की पूजा करके अलौकिक सिद्धांत प्राप्त करती है
नीतू गुप्ता जो स्वराज वन्य जीव बोर्ड के सदस्य के इस अधिनियम के सबसे खतरनाक परिणाम के तौर पर दिखती है उनका मानना है कि जिस तरह आप देश में प्रधानमंत्री को अपने ही देश के वन्यजीवों को संरक्षण के दायित्व से अलग कर दिया गया है इस तरह आप राज्यों के मुख्यमंत्री को भी इससे बाहर कर दिया गया है अब तक मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष होते थे तब सभी संबंधित विभागों की जरूरत नहीं भी सुनिश्चित होती थी लेकिन अब मुख्यमंत्री को वन्य जीव संरक्षण के रूप कोई मतलब नहीं होगा और वन मंत्री अपने अधिकारियों के जरिए इस पर काम करेंगे 10 सदस्यों का चयन भी ढंग से की जाएगा जिसमें विशेषज्ञ की जगह राजनीतिक नजदीकयों को महत्व मिलेगा इन वोट्स पर कार्पोरेट्स का नियंत्रण बढ़ेगा